काले भेड़िए की कहानी Hbb | Short story of black wolves

एक समय की बात है जंगल में जाते समय अचानक मुलाकात हुई काले भेड़िए से। जो मुझे देख कर गुर्राने लगा। उसे देख में अक्का बक्का रह गया, जमकर चिलाने लगा गला फाड़ने लगा। उछल कूद करने लगा, डंडे पत्थर फेंकने लगा, काले भेड़िये पर कोई असर नहीं पड़ा और वह मुझ पर आगे आकर जोर से गुर्राने लगा।

काले भेड़िए कहानी हिंदी बेस्ट ब्लॉग की जुवानी

तभी मेरी नजर उसके छोटे - छोटे काले व सफेद बच्चों पर पड़ी। मुझे समझते देर नहीं लगी कि वह अपने बच्चों को बचा रही है। मैं तुरंत पीछे हो गया और एक ऊंची चट्टान पर जाकर खड़ा हो गया। उन्हें दूर से देखने लगा। उसके बच्चे अपने मम्मी के साथ खेलने लगे। 

मन में ख्याल आया कि इन बच्चों और मम्मी के लिए कुछ करना चाहिए। तब से मैं प्रतिदिन दूध - ब्रेड आदि ले जाने लगा और कुछ दूर जाकर रख देता था। जैसे - जैसे समय बीतता गया, भेड़िये मुझे अपनाने लगे, उसके बच्चे भी मुझे पसंद करने लगे और मैं उनके करीब आने लगा। 

वे अब बेजिझक मेरे साथ खेला करते थे। तब से अब तक मैं उस भेड़िए और अन्य जानवरों की कद्र करता हूं।  क्योंकि वे अपने परिवेश में पलते हैं और हम अपने परिवेश में पलते हैं। देखा जाए तो हमारे मुकाबले जानवर अच्छा व्यवहार करते हैं। 

थोड़ा किसी को अपना कर देखो तथा स्नेह करके देखो! इसीलिए कहा गया है कि - "तुम ज्योत में बाती, तुम तेल में माटी" अर्थात दोनों का एक दूसरे से संबंध है। अलग-अलग कोई मूल्य नहीं। 

उसी प्रकार से भेड़िए अपने परिवार से और मैं उनसे तथा अपने परिवार से जुड़ा हुआ हूं। अकेले हमारा कोई मूल्य नहीं, जुड़कर या मिलकर हम अमूल्य हो जाते हैं। 

अतः हमें सब की सहायता करनी चाहिए, किसी को अपने तरफ से किसी भी प्रकार की कोई हानि न पहुंचाएं। ऐसा प्रयास करो तभी आप एक मूल्यवान और अप्रतिम छवि के इंसान बन पाएंगे। अर्थात् निस्वार्थ संकल्प कार्य करने से आप/हम सबके मन में अवश्य ही जगह बना लेंगे। सुन्दर कहानी और सुदूर सोच के प्रतीक आपके निस्वार्थ संकल्प की रवानी। 

धन्यवाद!

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