Papa's fairy little story in hindi and English

(पापा की परी एक छोटी सी कहानी)

Best Papa's Fairy A Little Story in Hindi Written by HBB.com


ये कहानी किसी को ठेस पहुँचाने के उद्देश्य से नहीं लिखी गयी है। ये कवि की कल्पनात्मक कृति है।

Best Papa's Fairy A Little Story in Hindi and English

Best Papa's Fairy A Little Story in Hindi and English

कहानी के लेखक/सूत्रधार- हिंदी बेस्टब्लॉग है। आपत्ति के लिए आप हमें कमेंट या फार्म भरके बता सकते हैं।

कहानी प्रारम्भ-

ये बात है एक लड़के की जिसका नाम है- पी.पी. जो पापा की परी कहलाता था। उसे ये नाम बिल्कुल भी पसंद नहीं था। फिर भी हम सब उसे चिढ़ाया करते थे।

एक दिन की बात है पापा की परी पापा के साथ मार्केट गए हुये थे। उन्होंने वहां से ढेर सारा सामान खरीदा और घर की और चल दिये। घर की और चले तो थे लेकिन उन्होंने कुछ ज्यादा ही सामान ले लिया।

ये बात पापा की परी नहीं जानते थे। उन्होंने सामान उठा तो लिया पापा को इम्प्रेस करने के लिये, लेकिन वो सामान कुछ ज्यादा ही भारी था। वो अपने नाजुक दोनों कंधो पर बैग उठा के चल तो रहे थे। अब किसी को कुछ कह भी नहीं सकते थे और कहते भी किसे ?

अपने आप को देखना 

पी.पी. भाई साहब चुपचाप चले जा रहे थे और कुछ देर बाद घर पहुँच गए। घर पहुंच कर थोड़ी राहत की सांस ली और अपनी टीशर्ट उतारी तो देखा कंधो पे बड़े बड़े निसान पडे थे। वो देखकर वो थोडा घबराय और पापा को बताया।

पापा ने देखा और कहा अरे कुछ नहीं है बेटा! ये बस बैग के निसान है दो चार दिन में ठीक हो जायेंगे घबराओ नहीं। ये सुनकर के उन्हें थोडा राहत मिली।

तब से ये दृश्य देखकर के उनका नाम पापा की परी पड़ गया। क्योंकि वो थे ही इतने नाजुक कभी काम नहीं किया। काम किया तो कंधो पे निसान पड गए, इसलिए कहते है हमेशा काम करते रहिये--- और रामनाम जपते रहिये।

ये थी पापा की परी की कहानी पी. पी. के जुबानी।

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Best Papa's Fairy A Little Story Written by hindibestblog.com

This story is not written with the aim of offending anyone. This is an imaginative work of the poet.

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Story starts

This is the name of a boy whose name is P.P. Which was called Papa’s fairy? He did not like this name at all. Even then we all used to tease him.
  
It is a matter of one day that Papa's fairy went to the market with Papa. They bought a lot of goods from there and headed home. Had to go towards home but he took too much stuff.

Papa's angel did not know this. He picked up the goods to impress the father, but that stuff was too heavy. He was walking with the bag on both his delicate shoulders. Now nobody could say anything to whom and who would even say?

P.P. Bhai Saheb was going quietly and after some time reached home. Upon reaching home, he breathed a little relief and took off his T-shirt, and saw a big Nissan lying on his shoulder. Seeing that, he was a little nervous and told father.

Dad saw it and said, "Oh nothing, son!" This is just a bag of Nissan, it will be fine in two to four days, do not panic. Hearing this, he was relieved.

From then on seeing this scene, his name became Papa's fairy. Because they were never so fragile. If you worked, Nissan fell on your shoulders, that's why you always keep working --- and keep chanting Ram Naam.

This was the story of Papa's fairy.

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