काला चामुंडा की काली करतूत | Prem short story in hindi

ये उन दिनों की बात है जब हम स्कूल में पढ़ा करते थे। और हमारे पास चाय- पीने तक के पैसे नहीं हुआ करते थे। ये कहानी एक लड़के की है जो है - काला चामुंडा उर्फ़ प्रेम बड़ा ही चतुर, चंट वा चालक था। लेकिन पढ़ने में उतना ही खराब। इस कहानी के सूत्रधार हैं - हिंदी बेस्ट ब्लॉग डॉट कॉम। इसका किसी से किसी भी प्रकार का कोई संबंध नहीं है। अगर पाया जाता है तो वो केवल मात्र एक संयोग होगा।

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काला चामुंडा की काली करतूत २०२० 

गत दिन हम सब खेल रहे थे और वो हमारी team में था। उसे बैटिंग का बड़ा शौक था हालांकि आता जाता कुछ नहीं था फिर भी हम उसे पहले उतारते थे। क्योंकि उसका एक बड़ा खास कारण था और वो खास कारण था प्रिंसिपल के सिग्नेचर करना ।

भाई साहब हु बा हु साइन करते थे उसकी नकल करनी चाही सबने पर किसी को सफलता नहीं मिली। वो कारनामा केवल काला चामुंडा ही कर पाता था इसी लिए उसकी वैल्यू थी और हमें मज़बूरी में उसे खिलाना पड़ता था। वो कहते है न मज़बूरी का नाम महात्मा गांधी।

तो वो हमारी मज़बूरी का फुल फायदा उठाता था, अगर कोई उसकी बात ना माने या आना कानी करता तो वो सिग्नेचर न करे अगर करे तो गलत कर देता था। ये सबसे बड़ी मुश्किल थी। में भी इसका शिकार हो रखा हूं।


दरसल बात ये थी की हमें डीटीसी पास बनाना होता था जो मात्र 15 रुपए में बनता था और उसमें प्रिंसिपल के साइन चाहिये होते थे। हमारा प्रिंसिपल एक नंबर का खड़ूस और गुस्सेल था। इसकी वजह से सब उससे डरते थे वा कोई उसके आस पास भी नहीं भटकता था।

हम सब पास फॉर्म लेकर के चुपके से उसपे स्टैम्प तो मार लेते थे जेसे तेसे लेकिन साइन नहीं कर पाते थे। इसी कारन प्रेम भाई का जलवा चलता था और साले ने मेरे फॉर्म पर गलत साइन कर दिए, क्योंकि मेने उसे खेलने से थोडा रोका था बस।


भाई साहब उर्फ़ काला चामुंडा ने ये बात कुत्ते की तरह आँख रखी और पूरा बदला लिया मुझसे। में कुछ उससे कह भी नहीं सकता था क्योंकि मेरे पास लास्ट स्टाम्प वाला फॉर्म बचा था। मेने भाई साहब के हाथ पैर जोड़े और ढेर सारी विन्नति की तब जाके उन्होंने सही सिग्नेचर किया और मेरा पास बना।

ये बात मेने सब दोस्तों को बताई तब सबने निर्णय लिया की अब उससे कोई सिग्नेचर नहीं करवाएगा और ना ही उसकी बात मानेगा। और हुआ भी ऐसा ही, किसी ने उसे खिलाया ही नहीं सब मना करने लगे और वो सबको धमकी देता फिरता था। ये कर दूंगा वो कर दूंगा लेकिन किसी ने भी उसकी एक बात न सुनी। सब खुशी खुश होकर अपना काम करते रहे।


निष्कर्ष- 

इस काला चामुंडा की काली करतूत नामक कहानी से हमें ये सीख मिलती है की कभी किसी को बेवजह तंग नहीं करना चाहिए और न ही अपनी जानकारी पे कभी भी घमण्ड करना चाहिए। क्योंकि हमेशा समय एक जैसा नहीं रहता, समय हमेशा बदलता रहता है। आज आपका है तो कल किसी और का होगा।

इसलिए कहावत हे की समय बड़ा बलवान रे भाइयों समय बड़ा बलवान। उसके आगे किसी की भी नहीं चलती । समय सबके लिए एक समान हे चाहे वो रंक/गरीब हो या अमीर/साहूकार, सबके लिए एक समान हे और हमेशा रहेगा।

धन्यवाद!


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4 Comments

  1. KYA baat hai ....kala kala chamunda kartoot👍👍👍👍😢😢😢😢😊😊😊😊

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  2. Kala chamunda.... sahi naam chuna bhai..☺☺☺👌👌

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