5 things to keep in mind while chanting | जप करते समय विशेष बातों का ध्यान रखें

हिंदू सभ्यता/हिंदू धर्म में जप Chanting का विशेष महत्व है। जप को प्रभावशाली और कल्याणकारी बनाने के लिए कुछ खास बातों को ध्यान में रखने की जरूरत होती है। 

मानसिक जप, इष्ट मंत्र जप किसी भी समय कर सकते हैं। लेकिन जप मंत्र का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए कुछ असरदार समय बताए गए हैं। लेकिन इस पोस्ट में हम जप करते समय प्रमुख पांच बातों पर ध्यान देंगे। उससे पहले कुछ बातें अवश्य जान लें। 


keep in mind while chanting

जप क्यों करना चाहिए -

जप शब्द का अर्थ ही होता है- मन्त्र, गुरु मंत्र, पूजा, संध्या आदि का "संख्या पूर्वक" पाठ करना ही जप कहलाता है। जप में संख्या का विशेष ध्यान रखा जाता है। वैदिक वांग्मय में विशेषकर पुराणों में जप तीन प्रकार का बताया गया है। पहला मानसिक जप, जिसे मानस जप भी कहते हैं। दूसरा- उपांशु जप। तीसरा- वाचिक जप। इनमें श्रेष्ठ जप मानसिक या मानस "जप" माना गया है। 

क्योंकि इसका फल अन्य जप से सहस्रगुना माना जाता है। मानसिक जप में मन ही मन में मंत्र का जाप करके, उसका मनन चिंतन करके, धीरे-धीरे उच्चारण करना, मुख-ओंठ एकदम ना हिले ना ही गति करें। इस प्रकार के जप को मानसिक वा मानस जप कहते हैं।

मंत्र जप विधि (Mantra Jaap Vidhi) - 

मंत्र जाप करते समय जापी (जप करने वाला) को सबसे पहले पवित्र होकर, शुद्ध आसन बिछाकर बैठें। फिर पद्मासन या सुखासन में बैठें। धूप-दीप अवश्य जलाएं, हो सके तो किसी मंदिर, पवित्र स्थल या फिर घर में बने पूजा स्थल पर बैठकर पूर्व की ओर मुखकर, ईश्वर की प्रतिमा अगर हो तो शुद्धजल से स्नान कराकर, वस्त्र- तिलक आदि जरूर लगाएं। अब आप जिस भी माला जैसे- तुलसी माला, रुद्राक्ष माला का प्रयोग करें और माला का भी तिलक- स्नानादि आदि करें। (विशेष- प्लास्टिक की माला का कदापि प्रयोग नहीं करना चाहिए।)

Pay attention to these things while Chanting

माला को हमेशा दाएं हाथ (Right hand) में रखना चाहिए। जाप करते समय अंगुलियों में अंगूठे से माला को फेरे। तर्जनी अंगुली (अंगूठे के बगल वाली उंगली) का स्पर्श ना करें। इधर-उधर ना देखें, एकाग्र होकर जप करें। माला को कभी भी नाभि से नीचे ना लाएं और ना ही रखें। जप करते समय आप की माला सीने से कम से कम चार अंगुल दूर रहे और माला को नाक से ऊपर ना ले जाएं।

जाप करते समय सुमेरू से प्रारंभ करें और सुमेरु पर पहुंच उसे क्रॉस ना करें। सुमेरु से तुरंत वापस आ जाएं, माला नीचे नहीं गिरनी चाहिए और ना ही गिराएं। जाप समाप्त/खत्म होने के बाद माला को पवित्र स्थान पर रखें। शरीर पवित्र नहीं, वस्त्र पवित्र नहीं, स्थान पवित्र नहीं, तो मंत्र प्रकाशित नहीं होता। इसीलिए पवित्रता सर्वप्रथम वांछनीय है। 

जप करते समय पांच बातों का विशेष ध्यान रखें -

1. पवित्र अवस्था

जापी जब भी जप करें पवित्र होने चाहिए- "अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि..." मंत्र से तथा शुद्ध वस्त्र-आदि पहने। उस समय किसी भी प्रकार की बाधा नहीं होनी चाहिए। शांत रहें तथा शांति रखें अगर आप घर में कर रहे हैं। इधर-उधर ना देखें, मन को एकाग्र रखें हो सके तो एकांत में जाप करें।अगर आपका ध्यान भंग हुआ तो जप का फल नहीं मिलता।

शौचादि कार्य जप से पहले कर लें। यदि जप करते समय शौचादि आए, तो सबसे पहले शौच कार्य करें। क्योंकि अगर आप नहीं करेंगे तो आपका ध्यान नहीं लगेगा। शौचादि कार्य से निवृत्त होने के बाद आपको अच्छे से अपने हाथ धोने चाहिए। अगर हो सके तो कमर से नीचे पानी से साफ करें अथवा स्नान करें और उसके बाद सूती वस्त्र पहने। आपका हाथ कमर से नीचे ना जाए अगर गया तो अपवित्र माना जाता है। ऐसी स्थिति में मिट्टी से हाथ धोना चाहिए मिट्टी न हो तो साबुन आदि से धोएं। 

जपांशी पवित्रता का विशेष ध्यान रखते है। शौच कार्य के तुरंत वाद स्नान करते है और वस्त्र भी बदलते हे। स्नान और वस्त्रादि बदलना पवित्र अवस्था का प्रमाण है। आसन, जप स्थल पवित्र हो। साफ़ सफाई का विशेष ध्यान रखें। जूता-चप्पल वर्जित है। किसी प्रकार की अपवित्रता होने पर जपांशी को फिर पवित्र करना होता है, ताकि जप का पूरा फल प्राप्त हो सके। 

2. माला ना दिखे 

जप करते समय माला हमेशा सीधे हाथ में रखे तथा माला को ढक कर रखें। गोमुखी अथवा स्वच्छ कपड़ा से ढक सकते हैं। गोमुखी लेकर माला जाप पवित्र माना गया है। अगर माला करते समय आप की माला किसी और को दिख रही है तो आप के साथ-साथ जो व्यक्ति उस माला के दर्शन कर रहा है, उसे भी मंत्र जाप का पुण्य मिल रहा है। 

माला जाप के दौरान अंगूठे से माला की संख्या यानी की काउंटिंग आगे बढ़ाएं। नाखून का स्पर्श ना करें। माला जपते समय माला हाथ से ना गिरे और तुलसी या रुद्राक्ष की माला जप करते समय प्रयोग में लाएं। गुरु मंत्र, इष्ट मंत्र का जाप कर सकते हैं। माला पूरी करें बिना अपना स्थान न छोड़ें, नहीं तो जप का फल नहीं मिलता। 

3. सर पर कपड़ा ना हो 

जप करते समय आप के सर पर कपड़ा नहीं होना चाहिए। उससे मंत्र-फल नहीं मिलता। पूजा करने के दौरान आप सर पर कपड़ा पहन/बांध सकते हैं। लेकिन जप मंत्र के समय अवश्य कपड़ा उतार दें। 

4. ओंठ-जीभ ना हिले

जब कभी भी आप मंत्र जप करते हैं तो ओंठ व जीभ नहीं हिलने चाहिए अर्थात जीव- ओंठ स्थिर रखें।अगर आपके ओंठों को हिलते हुए कोई देखे तो उसको उसका फल मिलता है क्योंकि हो सकता है वह आपके होंठ को पढ़कर के आपके मंत्र जाप को देख लें तथा जिह्ववा आपको भ्रमित कर सकती है और आप के जप में बाधा उत्पन्न हो सकती है।

5. पैर फैलाना 

मंत्र जाप करते समय कभी भी पैरों को फैलाकर जप नहीं करना चाहिए तथा जूता चप्पल पहन कर भी नहीं करना चाहिए। अगर कोई करता है तो उनका पुण्य बढ़ता नहीं अपितु क्षीण हो जाता है। जाप हमेशा सुखासन, पद्मासन में बैठकर करें एकांत में करें। 

निष्कर्ष 

जप करते समय इन बातों का विशेष ध्यान रखें ताकि मंत्र जप प्रकाशित हो सके। प्रकाशित से यहां पर मतलब है कि आपके हृदय में उस मंत्र का प्रभाव हो। अगर ह्रदय में मंत्र प्रकाशित हो गया तो, अब पवित्र-अपवित्र जापी के लिए महत्व नहीं रखता। क्योंकि उनके हृदय में मंत्र प्रकाशित हो चुका है 

इसलिए पवित्रता, एकांत, सूती वस्त्र और निरंतर मंत्र जप करें। इससे मन, बुद्धि, अहंकार सब मंत्रमय हो जाते हैं। एक बार मंत्र ह्रदय में प्रस्फुटित हुआ तो फिर बाहरी छद्म आवरण मंत्र जापी पे अपना प्रभाव नहीं डाल सकता। 

इसीलिए इस संसार को माया कहा गया है, इस माया से पार पाना हर किसी के वश में नहीं। परंतु अभ्यास और सत् चिंतन से यह संभव है। निरंतर और सतत् अभ्यास और पवित्रता से जप मन्त्र प्रकाशित हो सकता है। इसलिए पवित्रता पर विशेष ध्यान दें।


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