The First Installment of Anguish, महिपाल की वेदना पहली किश्त
अफरा-तफरी में महिपाल ने साईकिल को स्टैंड में खड़ा कर घर के अंदर प्रवेश किया। फूलवती निढाल हो जमीन पर बिखरी पड़ी थी। कराहने की आवाजें चौक तक सुनाई दे रही थी। भोंदू हलवाई ने महिपाल को फोन करके बताया था कि तेरे घर से जोर-जोर से कराहने की आवाजें आ रही हैं।
महिपाल किसी कारखाने में रोजाना तीन सौ रुपये की मजदूरी पर काम करता है। वाक्या दिन के बारह बजे से पहले का है तो आज की धियाड़ी भी मारी गई। सुपरवाइजर की गालियाँ मिली सो अलग, साईकिल को पैडल मारे और घर की तरफ निकल पड़ा। उसके मन में बुरे-बुरे ख्याल आ रहे थे। जेठ की भरी दोपहरी ने उसके शरीर को पसीने से पूरा भिगा दिया।
वेदना पहली किश्त- हांफते हुवे घर की और तेजी से साईकिल के पैडल मरते चौक से ख्यालों में ही जंगल वाले रास्ते की और निकल पड़ा। वैसे ये रास्ता शॉर्टकट है पर यहां दिन दोपहरी चोरी का भय रहता है। अब डर दुगुना होने लगा कहीं कोई चोर चकारा न मिल जाये। दमड़ी में जो दो चार रुपये हैं उनसे भी हाथ धोना पड़ेगा।
इतना सोच ही रहा था कि साईकिल का टायर पंचर हो गया। बीस मिनट का रास्ता अब 45 मिनट का हो गया। दौड़ती साइकिल को हाथों से धक्के लगाते हुवे घर की और दौड़ने लगा। घर के पास पहुंचा तो देखा कि पूरे मुहल्ले वाले घर को चारों और से घेरे हुवे हैं। अंदर के कमरे से जोर से कराहने और रोने की आवाज आ रही है।
अंदर गया तो बरामदे में सरपंच और गाँव के दो-चार बूढ़े भी बैठे हैं। आवाजें अंदर वाले कमरे से आ रही थी। महिपाल ने पूछा क्या हुआ ! पर दरवाजा तो अंदर से बंद था किसी ने तोड़ने की भी कोशिश नहीं कि महिपाल की आवाज सुनते ही कराहने की आवाज चीख में बदल गई। अब जोर-जोर से रोने की आवाज आने लगी।
महिपाल ने आवाज लगाई फूलवती दरवाजा खोलो, फूलवती सुन रही हो, इतना कहना था कि फूलो जोरों से चीखने लगी, सभी घबरा गए। जैसे-तैसे जोर आजमाइश कर दरवाजा तोड़कर अंदर घुसे तो नजारे कुछ और थे। फूलवती कान में हेडफोन गुसाये, बोजपुरी नरुहा की मूवी देख रही थी। और जैसे-जैसे सीन आते वैसे-वैसे रोने लगती।
महिपाल ने आवाज लगाई फूलवती दरवाजा खोलो, फूलवती सुन रही हो, इतना कहना था कि फूलो जोरों से चीखने लगी, सभी घबरा गए। जैसे-तैसे जोर आजमाइश कर दरवाजा तोड़कर अंदर घुसे तो नजारे कुछ और थे। फूलवती कान में हेडफोन गुसाये, बोजपुरी नरुहा की मूवी देख रही थी। और जैसे-जैसे सीन आते वैसे-वैसे रोने लगती।
सभी लोगों को अंदर देख, चोंककर खड़ी हुई। कान से पर्दा हटाया और पूछने लगी एजी क्या हो गया ये लोग यहां क्यों इकट्ठे हैं..😀😀😀
अगली किश्त जल्द।
लेखक - डॉ. सुशील सेमवाल | धन्यवाद !
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